सबके अंदर रामतत्व का समावेश हो। जय सिया राम ।

 

सबके अंदर रामतत्व का समावेश हो । जय सिया राम
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राम !  इस नाम को लेने भर से मन शांति और आत्मविश्वास से भर जाता है । यह एहसास होता है कि जीवन का उद्धार हो गया । लेकिन क्या सच में हमारे अंदर इतना सामर्थ्य है की हम राम की शिक्षाओं का पालन कर सकें? उनके बताए हुए पथ का अनुसरण कर सकें? आज 22 जनवरी 2024 की पवन बेला है और आज हर भारतवासी के मन को गर्व की अनुभूति हो रही है क्योंकि आज प्रभु राम के भव्य मंदिर का उद्घाटन और प्रभु राम की प्रतिमा की प्राणप्रतिष्ठा पवन नगरी अयोध्या धाम में होने जा रही है । आज हर भारतवासी राम के दर्शन करके राममय हो जाना चाहता है ।
लेकिन क्या सच में हमारा हृदय इतना पवित्र है की हम खुद को राम भक्त कह सकें ?
           राम तो वो हैं जिन्होंने अपना पूरा जीवन मर्यादा से जिया । सदैव नियम कानून के पालन करने को प्राथमिकता दी और स्वयं भी उनका पालन किया । माता सीता को उन्होंने उन्ही नियमों का पालन करते हुए त्याग दिया था जो उनकी जनता के लिए उन्होंने बनाए थे। उन्होंने निम्न कुल की शबरी के झूठे बेर खाए और पुरुषोत्तम कहलाए । वो ब्रह्मा के कुल में जन्म थे लेकिन 14 वर्ष तक जंगलों में भटकते रहे।

राम वो है जिन्होंने अपने पिता जी के वचन को पूरा करने के लिए राज पाट को ठोकर मार कर वनवास स्वीकार कर लिया और अयोध्या से दूर वन में चले गए । राम वो है जिन्होंने माता सीता के अलावा कभी किसी स्त्री का ख्याल तक नहीं किया । राम वो है जो अपने शत्रु रावण की मृत्यु पर दुखी हुए और रोए भी । राम वो है जिनके भक्त स्वयं भगवान शंकर है जो धरती पर हनुमान बनकर आते है। जिससे अपने प्रभु की सेवा कर सकें। राम वो है जिनके अंदर काम क्रोध, लोभ ,ईर्ष्या, अहंकार लेशमात्र भी ना थे । वे दुनिया के सबसे प्रतापी और शक्तिशाली व्यक्ति होते हुए भी उनको अपनी शक्ति और प्रताप का अहंकार नहीं था । वे अत्यंत विनम्र और परोपकारी थे।
आज हम सभी रामराज की परिकल्पना करते है और चाहते हैं की राम राज फिर से आ जाए। लेकिन क्या यह संभव है ?? क्या आज के शासको में प्रभु राम के 1 प्रतिशत भी गुण है ?? उस समय के राजा के साथ ही उनकी प्रजा भी चरित्रवान थी । क्या आज के समाज में किसी व्यक्ति में यह कहने का सामर्थ्य है की वह चरित्रवान है ?
आज हर कोई अपने को  रामभक्त के रहा है लेकिन क्या
किसी के भीतर 1 प्रतिशत भी रामतत्व उपस्थित है ???
यदि हम अपने अंदर से 1 परसेंट भी छल-कपट, काम, क्रोध, लोभ, अहंकार का अंत कर सकने में कामयाब हो गए तो प्रभु राम खुद हमको अपना भक्त बना लेंगे। सबके अंदर रामतत्व का समावेश हो।
जय सिया राम ❤️

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